वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है
मिरी यादों में इक भूला हुआ चेहरा भी रहता है
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मस्ताना हीजड़ा
मैं उन से भी मिला करता हूँ जिन से दिल नहीं मिलता
रात नादीदा बलाओं के असर में हम थे
एक दिन ज़ेहन में आसेब फिरेगा ऐसा
एक सुअर से
एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए
शहर का शहर हुआ जान का प्यासा कैसा
तू जान-ए-मोहब्बत है मगर तेरी तरफ़ भी
वो लोग जो ज़िंदा हैं वो मर जाएँगे इक दिन
सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर
कैमरा
दामन में आँसुओं का ज़ख़ीरा न कर अभी