रास्ता दे कि मोहब्बत में बदन शामिल है
मैं फ़क़त रूह नहीं हूँ मुझे हल्का न समझ
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(580) Peoples Rate This
एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए
मैं तो ख़ुदा के साथ वफ़ादार भी रहा
वक़्त अभी पैदा न हुआ था तुम भी राज़ में थे
मैं उन से भी मिला करता हूँ जिन से दिल नहीं मिलता
हैरानी में हूँ आख़िर किस की परछाईं हूँ
दिल ही अय्यार है बे-वज्ह धड़क उठता है
फैंटेसी
अभी नज़र में ठहर ध्यान से उतर के न जा
वो लोग जो ज़िंदा हैं वो मर जाएँगे इक दिन
वो सख़ी है तो किसी रोज़ बुला कर ले जाए
हद-बंदी-ए-ख़िज़ाँ से हिसार-ए-बहार तक
मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला