नामों का इक हुजूम सही मेरे आस-पास
दिल सुन के एक नाम धड़कता ज़रूर है
Javed Akhtar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
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बुझे लबों पे है बोसों की राख बिखरी हुई
हैरानी में हूँ आख़िर किस की परछाईं हूँ
हम तंगना-ए-हिज्र से बाहर नहीं गए
पाँव मारा था पहाड़ों पे तो पानी निकला
मौत की ख़ुशबू
अभी नज़र में ठहर ध्यान से उतर के न जा
ख़ाली बोरे में ज़ख़्मी बिल्ला
इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते
ख़्वाब को दिन की शिकस्तों का मुदावा न समझ
वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है
क़त्ल करने का इरादा है मगर सोचता हूँ
तुझ से मिलने का रास्ता बस एक