मुझे समझने की कोशिश न की मोहब्बत ने
ये और बात ज़रा पेचदार मैं भी था
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हमला-आवर कोई अक़ब से है
तुझ से मिलने का रास्ता बस एक
रेत की सूरत जाँ प्यासी थी आँख हमारी नम न हुई
मुहासबा
मुझ को मिरी शिकस्त की दोहरी सज़ा मिली
मुहासरा
हम तंगना-ए-हिज्र से बाहर नहीं गए
बदन चुराते हुए रूह में समाया कर
मस्ताना हीजड़ा
मेरे अंदर उसे खोने की तमन्ना क्यूँ है
ये क्या तिलिस्म है क्यूँ रात भर सिसकता हूँ
पोस्टर