डूब जाने का सलीक़ा नहीं आया वर्ना
दिल में गिर्दाब थे लहरों की नज़र में हम थे
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दुनिया पे अपने इल्म की परछाइयाँ न डाल
पोस्टर
क़त्ल करने का इरादा है मगर सोचता हूँ
वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है
नए चराग़ जला याद के ख़राबे में
इक रात हम ऐसे मिलें जब ध्यान में साए न हों
मेरी आँखों में अनोखे जुर्म की तज्वीज़ थी
तेरे चेहरे पे उजाले की सख़ावत ऐसी
मिरा अकेला ख़ुदा याद आ रहा है मुझे
डस्टबिन
वो दुख जो सोए हुए हैं उन्हें जगा दूँगा
ये किस ने भरम अपनी ज़मीं का नहीं रक्खा