आग हो दिल में तो आँखों में धनक पैदा हो
रूह में रौशनी लहजे में चमक पैदा हो
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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हिरास फैल गया है ज़मीन-दानों में
बद-गुमानी
मैं अपनी आँखों से अपना ज़वाल देखता हूँ
डूब जाने का सलीक़ा नहीं आया वर्ना
1
लोग थे जिन की आँखों में अंदेशा कोई न था
अभी नज़र में ठहर ध्यान से उतर के न जा
सदमा
सब कुछ न कहीं सोग मनाने में चला जाए
मुहासबा
इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते
एक कुत्ता नज़्म