अब याद नहीं सीने में कहीं
इक सूरज था सो डूब गया
अब अपना दिल है खोट-भरा
दुनिया को बदलने उट्ठे थे
दुनिया ने बदल डाला कि नहीं
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Gulzar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Wasi Shah
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दुनिया पे अपने इल्म की परछाइयाँ न डाल
पाँव मारा था पहाड़ों पे तो पानी निकला
ख़्वाब को दिन की शिकस्तों का मुदावा न समझ
अलकुबड़े
मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला
उम्र इंकार की दीवार से सर फोड़ती है
मेरी आँखों में अनोखे जुर्म की तज्वीज़ थी
वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है
रास्ता दे कि मोहब्बत में बदन शामिल है
यूँ मिरे पास से हो कर न गुज़र जाना था
हिरास फैल गया है ज़मीन-दानों में
दामन में आँसुओं का ज़ख़ीरा न कर अभी