Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ae0cab99f957d1ee54d9069f38c88d4d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है - साक़ी फ़ारुक़ी कविता - Darsaal

वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है

वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है

मिरी यादों में इक भूला हुआ चेहरा भी रहता है

जब उस की सर्द-मेहरी देखता हूँ बुझने लगता हूँ

मुझे अपनी अदाकारी का अंदाज़ा भी रहता है

मैं उन से भी मिला करता हूँ जिन से दिल नहीं मिलता

मगर ख़ुद से बिछड़ जाने का अंदेशा भी रहता है

जो मुमकिन हो तो पुर-असरार दुनियाओं में दाख़िल हो

कि हर दीवार में इक चोर दरवाज़ा भी रहता है

बस अपनी बेबसी की सातवीं मंज़िल में ज़िंदा हूँ

यहाँ पर आग भी रहती है और नौहा भी रहता है

(526) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Saqi Faruqi. is written by Saqi Faruqi. Complete Poem in Hindi by Saqi Faruqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.