Coupletss of Saqi Faruqi (page 2)
नाम | साक़ी फ़ारुक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Saqi Faruqi |
जन्म की तारीख | 1936 |
मौत की तिथि | 2018 |
जन्म स्थान | London |
मैं ने चाहा था कि अश्कों का तमाशा देखूँ
मैं उन से भी मिला करता हूँ जिन से दिल नहीं मिलता
मैं तो ख़ुदा के साथ वफ़ादार भी रहा
मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला
मैं अपनी आँखों से अपना ज़वाल देखता हूँ
मैं अपने शहर से मायूस हो के लौट आया
मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था
लोग लम्हों में ज़िंदा रहते हैं
ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का
ख़ामुशी छेड़ रही है कोई नौहा अपना
ख़ाक मैं उस की जुदाई में परेशान फिरूँ
जिस की हवस के वास्ते दुनिया हुई अज़ीज़
हम तंगना-ए-हिज्र से बाहर नहीं गए
हैरानी में हूँ आख़िर किस की परछाईं हूँ
हादसा ये है कि हम जाँ न मोअत्तर कर पाए
हद-बंदी-ए-ख़िज़ाँ से हिसार-ए-बहार तक
इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते
एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए
दुनिया पे अपने इल्म की परछाइयाँ न डाल
डूब जाने का सलीक़ा नहीं आया वर्ना
दिल ही अय्यार है बे-वज्ह धड़क उठता है
बुझे लबों पे है बोसों की राख बिखरी हुई
अजब कि सब्र की मीआद बढ़ती जाती है
अभी नज़र में ठहर ध्यान से उतर के न जा
अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
आग हो दिल में तो आँखों में धनक पैदा हो