Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4f1fcbedd75835ed38fadee5cacb162b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़ुशबुओं का शजर नहीं देखा - संजीव आर्या कविता - Darsaal

ख़ुशबुओं का शजर नहीं देखा

ख़ुशबुओं का शजर नहीं देखा

एक मुद्दत से घर नहीं देखा

रहगुज़र हम ने ऐसी चुन ली थी

मीलों दीवार-ओ-दर नहीं देखा

तुम जो बदले तो क्या ग़ज़ब बदले

हम ने ऐसा असर नहीं देखा

इतनी बोझल हुई थी ये पलकें

उस को देखा मगर नहीं देखा

चाँद कैसे ज़मीं पे चलता है

जिस ने उस को अगर नहीं देखा

आइना हम से रोज़ पूछे है

ख़ुद को क्यूँ बन-सँवर नहीं देखा

ख़त को चूमा उसी की ख़ुशबू थी

ख़त के अंदर मगर नहीं देखा

तुम से बिछड़े तो कैसे ज़िंदा हैं

तुम ने ये सोच कर नहीं देखा

(478) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sanjiv Arya. is written by Sanjiv Arya. Complete Poem in Hindi by Sanjiv Arya. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.