पूछूँगी कोई बात न मुँह खोलूँगी
पूछूँगी कोई बात न मुँह खोलूँगी
साजन हैं भरोसे के तो क्या बोलूँगी
लंका का महल हो कि ख़्वाब-गाह-ए-फ़िरऔन
जिस ओर चलेंगे मैं उधर हो लूँगी
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पूछूँगी कोई बात न मुँह खोलूँगी
साजन हैं भरोसे के तो क्या बोलूँगी
लंका का महल हो कि ख़्वाब-गाह-ए-फ़िरऔन
जिस ओर चलेंगे मैं उधर हो लूँगी
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