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हम तो यूँ उलझे कि भूले आप ही अपना ख़याल - समीना राजा कविता - Darsaal

हम तो यूँ उलझे कि भूले आप ही अपना ख़याल

हम तो यूँ उलझे कि भूले आप ही अपना ख़याल

हाँ कोई होता भी होगा भूलने वाला ख़याल

एक पत्थर की तरह से डूबता जाता है दिल

हो रहा है और गहरा और भी गहरा ख़याल

आब-ए-हैराँ पर किसी का अक्स जैसे जम गया

आँख में बस एक लम्हे के लिए ठहरा ख़याल

फिर तो कब अपने रहे कब कार-ए-दुनिया के रहे

जब से हम पर छा गया इस जान-ए-दुनिया का ख़याल

नक़्श-ए-हैरत हो गई फिर अपनी हैरानी पे चश्म

ज़िंदगी आईना थी और आईना-ख़ाना ख़याल

शाम गहरी हो के फिर उतरी फिर इस दिल को लगा

इक ख़याल ऐसा ख़याल ऐसा ख़याल ऐसा ख़याल

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In Hindi By Famous Poet Sameena Raja. is written by Sameena Raja. Complete Poem in Hindi by Sameena Raja. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.