आसेब-सिफ़त ये मिरी तन्हाई अजब है

आसेब-सिफ़त ये मिरी तन्हाई अजब है

हर सम्त तिरी याद की शहनाई अजब है

इक बिछड़े शनासा से मुलाक़ात के बा-वस्फ़

बिखरे हुए लम्हों की शकेबाई अजब है

अब सिलसिला-ए-रंज-ओ-मेहन टूट भी जाए

इस बार तो कुछ तर्ज़-ए-पज़ीराई अजब है

अब मुझ पे खुला अपने दर-ओ-बाम का अफ़्सूँ

यूँ है कि मिरे घर की ये तन्हाई अजब है

सूरज से उतरते हैं मिरे हर-बुन-ए-मू पर

आँखें भी रखूँ बंद तो बीनाई अजब है

हर दिन सितम-ईजाद है हर रात सियह-फ़ाम

यारब ये तिरी अंजुमन-आराई अजब है

पिघला हुआ सोना थी जो दीवार-ओ-सक़फ़ पर

वो धूप घड़ी भर में ही कजलाई अजब है

नस नस में फिसलता है तिरे क़ुर्ब का नश्शा

हर मौजा-ए-ख़ूँ-नाब की गहराई अजब है

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In Hindi By Famous Poet Sameena Raja. is written by Sameena Raja. Complete Poem in Hindi by Sameena Raja. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.