तिलिस्म-ए-लफ़्ज़-ओ-मआ'नी को तार तार करें

तिलिस्म-ए-लफ़्ज़-ओ-मआ'नी को तार तार करें

तसव्वुरात की नुदरत को आश्कार करें

उतार लाएँ फ़लक से मह-ओ-नुजूम तमाम

ज़मीं पे अज़्मत-ए-आदम को उस्तुवार करें

हैं सम्त सम्त अयाँ ख़ैर-ओ-शर के हंगामे

कि आदमी को ख़ुदाई का राज़-दार करें

हैं जम्अ' दहर में फ़ित्ने सभी क़यामत के

अब और कौन से महशर का इंतिज़ार करें

गुज़र के जाएँगे जिस पुल-सिरात से इक दिन

चलो उसी ख़त-ए-क़ातिल को रहगुज़ार करें

उठा है जिस की लताफ़त से बंदगी का ख़मीर

उसी गुनाह की इस्मत पे जाँ-निसार करें

जलाए रखने 'समद' अपनी आरज़ू के चराग़

अजब नहीं कि वो दाग़-ए-जिगर शुमार करें

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In Hindi By Famous Poet Samad Ansari. is written by Samad Ansari. Complete Poem in Hindi by Samad Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.