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दिल को उजड़े हुए बीते हैं ज़माने कितने - सलमान अंसारी कविता - Darsaal

दिल को उजड़े हुए बीते हैं ज़माने कितने

दिल को उजड़े हुए बीते हैं ज़माने कितने

किल्क-ए-तक़दीर ने लूटे हैं ख़ज़ाने कितने

भूल जाता हूँ मगर सच तो यही है बरसों

तुम से वाबस्ता रहे ख़्वाब सुहाने कितने

दिल दुखाती ही रही गर्दिश-ए-अय्याम मगर

हम भी मसरूफ़ रहे ख़ुद भी न जाने कितने

एक हम और ये दुश्नाम-तराज़ी तौबा

अपने अतराफ़ रहे आइना-ख़ाने कितने

इक नज़र देख लिया था किसी गुल की जानिब

नुक्ता-चीनों ने तराशे हैं फ़साने कितने

गर नहीं वस्ल तो फिर बादा-ओ-साग़र ही सही

दिल ने ढूँडे हैं धड़कने के बहाने कितने

उम्र-ए-रफ़्ता को जो आवाज़ कभी दी हम ने

खुल गए ज़ख़्म कई, बाब पुराने कितने

ग़मज़ा-ओ-रम्ज़ में 'सलमान' तफ़ावुत रखते

और आएँगे तुम्हें नाज़ दिखाने कितने

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In Hindi By Famous Poet Salman Ansari. is written by Salman Ansari. Complete Poem in Hindi by Salman Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.