मुझे ख़बर न थी इस घर में कितने कमरे हैं
मैं कैसे ले के वहाँ सारी दास्ताँ जाता
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जागते में भी ख़्वाब देखे हैं
कुछ तो अपने लिए भी रखना है
ज़ुल्म है तख़्त ताज सन्नाटा
कैसे हो क्या है हाल मत पूछो
ये अलग बात कि वो मुझ से ख़फ़ा रहता है
वो पास रह के भी मुझ में समा नहीं सकता
दाइम सराब इक मिरे अंदर है क्या करूँ
चाँद सूरज की तरह तुम भी हो क़ुदरत का खेल
ख़्वाबों के आसरे पे बहुत दिन जिए हो तुम
हम जो पहले कहीं मिले होते
खुल के बातें करें सुनाएँ सब