ये अलग बात कि वो मुझ से ख़फ़ा रहता है
ये अलग बात कि वो मुझ से ख़फ़ा रहता है
मैं इक इंसान हूँ और मुझ में ख़ुदा रहता है
मेरी बातों में बहुत उस की झलक आती है
उस के लहजे में मिरा ज़ेहन बसा रहता है
क़ैद में उस से बहादुर न कोई देखा था
अब जो आज़ाद है थोड़ा सा डरा रहता है
और लोगों की निगाहों में बुरा हो लेकिन
अपनी नज़रों में भी गिर जाए तो क्या रहता है
पुल से गुज़रे तो नदी ध्यान से देखी हम ने
वर्ना मंज़र ये निगाहों से छुपा रहता है
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