खुल के बातें करें सुनाएँ सब
कोई तो हो जिसे बताएँ सब
रात फिर कश्मकश में गुज़री है
थोड़ा बतला दें या छुपाएँ सब
कुछ तो अपने लिए भी रखना है
ज़ख़्म औरों को क्यूँ दिखाएँ सब
ले चलूँ आओ तुम को मंज़िल तक
मुझ से कहती हैं ये दिशाएँ सब
काम लोगों के दिल को भा जाए
दिल अगर काम में लगाएँ सब