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Salman Akhtar Poetry In Hindi - Best Salman Akhtar Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

सलमान अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलमान अख़्तर

सलमान अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलमान अख़्तर
नामसलमान अख़्तर
अंग्रेज़ी नामSalman Akhtar
जन्म स्थानUSA

ज़िंदगी इस क़दर कठिन क्यूँ है

ज़िंदगी हम से तो इस दर्जा तग़ाफ़ुल न बरत

ये तमन्ना है कि अब और तमन्ना न करें

ये अलग बात कि वो मुझ से ख़फ़ा रहता है

वो एक ख़्वाब जो फिर लौट कर नहीं आया

वो भी हमारे नाम से बेगाने हो गए

निकले थे दोनों भेस बदल के तो क्या अजब

मुझे ख़बर न थी इस घर में कितने कमरे हैं

क्या नहीं जानता मुझे कोई

कुछ तो मैं भी डरा डरा सा था

कुछ तो अपने लिए भी रखना है

कोई शय एक सी नहीं रहती

ख़ाली बरामदों ने मुझे देख कर कहा

कैसे हो क्या है हाल मत पूछो

जिस से सारे चराग़ जलते थे

झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो

झाँकते रात के गरेबाँ से

जब ये माना कि दिल में डर है बहुत

हम जो पहले कहीं मिले होते

हज़ार चाहें मगर छूट ही नहीं सकती

गुफ़्तुगू तीर सी लगी दिल में

इक वही शख़्स मुझ को याद रहा

देखे जो मेरी नेकी को शक की निगाह से

चाँद सूरज की तरह तुम भी हो क़ुदरत का खेल

बुत समझते थे जिस को सारे लोग

अपनी आदत कि सब से सब कह दें

ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत न हो मगर

ज़ुल्म है तख़्त ताज सन्नाटा

ये तमन्ना है कि अब और तमन्ना न करें

ये अलग बात कि वो मुझ से ख़फ़ा रहता है

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