थी ये उम्मीद कि वो लौट के घर आएगा
थी ये उम्मीद कि वो लौट के घर आएगा
क्या ख़बर थी कि ब-अंदाज़-ए-दिगर आएगा
कई ज़ख़्मों के खंडर अब भी हैं मेरे दिल पर
जब कुरेदोगे नया रंग उभर आएगा
मुस्कुराएगी जब आँखों में सितारों की लड़ी
आइना बन के हसीं ख़्वाब नज़र आएगा
जब भी लहराएगी पलकों पे तिरी याद की शाम
दिल की वादी में नया चाँद उतर आएगा
दिल की राहों का मुक़द्दर है सराबों का सफ़र
जो भी आएगा यहाँ ख़ाक-बसर आएगा
संग बारों की ये बस्ती है यहाँ ऐ शाहीन
कौन है ले के जो शीशे का जिगर आएगा
(624) Peoples Rate This