Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_77d7d7a19159bda384c35894420f4e42, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चश्म-ए-नम पहले शफ़क़ बन के सँवरना चाहे - सलमा शाहीन कविता - Darsaal

चश्म-ए-नम पहले शफ़क़ बन के सँवरना चाहे

चश्म-ए-नम पहले शफ़क़ बन के सँवरना चाहे

और फिर रेत के दामन पे बिखरना चाहे

अजब इंसान है वो सेहर ये करना चाहे

आँख से देखो अगर दिल में उतरना चाहे

कुछ अजब उस से तअल्लुक़ है कि उस की हर बात

मौज-ए-ख़ूँ बन के मिरे सर से गुज़रना चाहे

सारा दिन धूप के सहरा में रहे सरगर्दां

शाम होते ही समुंदर में उतरना चाहे

ख़ुद रहे ता'न-ओ-मलामत का हदफ़ उस पे कभी

अपनी रुस्वाई का इल्ज़ाम न धरना चाहे

आइना जाँ का मुकद्दर सही लेकिन 'शाहीन'

दिल की तस्वीर तो आँखों में उतरना चाहे

(648) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Salma Shaheen. is written by Salma Shaheen. Complete Poem in Hindi by Salma Shaheen. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.