नज़र से देख तो साक़ी इक आईना बनाया है
शिकस्ता शीशा-ओ-साग़र के टुकड़े जोड़ कर हम ने
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सितारे की तरह सीने में दिल डूबा किया लेकिन
साहिल पे क़ैद लाखों सफ़ीनों के वास्ते
ज़िंदाँ में आचानक है ये क्या शोर-ए-सलासिल
वुसअ'त-ए-दामान-ए-दिल को ग़म तुम्हारा मिल गया
माल-ओ-ज़र अहल-ए-दुवल सामने यूँ गिनते हैं
निगाह-ए-शौक़ से लाखों बना डाले हैं दर हम ने
दिल ने सीने में कुछ क़रार लिया
महव यूँ हो गए अल्फ़ाज़-ए-दुआ वक़्त-ए-दुआ
ये भी इक रात कट ही जाएगी
बढ़ते हैं ख़ुद-ब-ख़ुद क़दम अज़्म-ए-सफ़र को क्या करूँ
खींच भी लीजिए अच्छा तो है तस्वीर-ए-जुनूँ