वुसअ'त-ए-दामान-ए-दिल को ग़म तुम्हारा मिल गया
वुसअ'त-ए-दामान-ए-दिल को ग़म तुम्हारा मिल गया
ज़िंदगी को ज़िंदगी भर का सहारा मिल गया
हर दिल-ए-दर्द-आश्ना में दिल हमारा मिल गया
पारा पारा हो चुका था पारा पारा मिल गया
हम कि मयख़ाने के वारिस थे हैं अब तक तिश्ना-लब
चंद कम-ज़र्फ़ों को सहबा का इजारा मिल गया
जिस ने ख़ाली जाम पटका उस मुजाहिद को सलाम
मय-कदे में आज प्यासों को इशारा मिल गया
ना-ख़ुदा ये दोनों साहिल एक ही दरिया के हैं
ये किनारा मिल गया या वो किनारा मिल गया
हम ने अपने क़ाफ़िले में उस को शामिल कर लिया
जो थका-हारा मिला जो ग़म का मारा मिल गया
फिर कोई ईसा फ़राज़-ए-दार की ज़ीनत बना
फिर किसी तारीक शब को इक सितारा मिल गया
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