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अब ऐसी बातें कोई करे जो सब के मन को लुभा जाएँ - सालिक लखनवी कविता - Darsaal

अब ऐसी बातें कोई करे जो सब के मन को लुभा जाएँ

अब ऐसी बातें कोई करे जो सब के मन को लुभा जाएँ

कोई तो ऐसा गीत छिड़े वो जिस को सुनें और आ जाएँ

बे-ताल है कैसी ये सरगम बे-लहरा पंजम है मद्धम

जो राग है दीपक इस मन में उस राग को कैसे गा जाएँ

अब चलना है तो चलना है क्या पाँव के छालों को देखें

इस धरती की पग-डंडी से कोई ठिकाना पा जाएँ

ये मेरा लहू वो तेरा लहू ये मेरा घर वो तेरा है

जो आग लगी है दोनों में अब जाते जाते बुझा जाएँ

ये ढेर नहीं है मिट्टी का इक 'सालिक' थक कर सोया है

कुछ ओस गिरा दो पलकों से कुछ फूल यहाँ लहरा जाएँ

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In Hindi By Famous Poet Salik Lakhnavi. is written by Salik Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Salik Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.