रेत पर मुझ को गुमाँ पानी का था

रेत पर मुझ को गुमाँ पानी का था

सब्र मेरा इम्तिहाँ पानी का था

सब जुनून-ओ-अज़्म काग़ज़ कश्तियाँ

सामना जब बे-कराँ पानी का था

संग-ए-सहरा में थी दरिया की नुमूद

संग-ए-सहरा में ज़ियाँ पानी का था

यूँ मिली सैलाब में जा-ए-पनाह

सर पे मेरे साएबाँ पानी का था

आग भी बरसी दरख़्तों पर वहीं

काल बस्ती में जहाँ पानी का था

इक सुनहरी फ़ाख़्ता थी पर-कुशा

जब ये बे-सम्त आसमाँ पानी का था

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In Hindi By Famous Poet Saleem Shahzad. is written by Saleem Shahzad. Complete Poem in Hindi by Saleem Shahzad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.