हर लहज़ा उस के पाँव की आहट पे कान रख
दरवाज़े तक जो आया है अंदर भी आएगा
Anwar Masood
Javed Akhtar
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Habib Jalib
Allama Iqbal
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Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
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मेरे एहसास की रग रग में समाने वाले
बुझ गए शो'ले धुआँ आँखों को पानी दे गया
मंज़र मिरी आँखों में रहे दश्त-ए-सफ़र के
बे-वज़्अ शब-ओ-रोज़ की तस्वीर दिखा कर
ये फ़ैसला भी मिरे दस्त-ए-बा-कमाल में था
दर्द की ख़ुश्बू से सारा घर मोअ'त्तर हो गया
दिल भर आए और अब्र-ए-दीदा में पानी न हो
मौसम का ज़हर दाग़ बने क्यूँ लिबास पर
मत पूछ हर्फ़-ए-दर्द की तफ़्सीर कुछ भी हो
मत पूछ कि इस पैकर-ए-ख़ुश-रंग में क्या है
ख़्वाहिश को अपने दर्द के अंदर समेट ले
रौशन सुकूत सब उसी शो'ला-बयाँ से है