अक्स हैरान है आइना कौन है
अक्स हैरान है आइना कौन है
वो है ख़ुशबू तो फिर फूल सा कौन है
दिल से निकले हो पलकों पे दम लो ज़रा
हो मुसाफ़िर तुम्हें रोकता कौन है
इक समुंदर ने ख़ुद को जज़ीरा किया
क्या हुआ क्यूँ हुआ पूछता कौन है
ग़ैर-आबाद है वो गली वो मकाँ
उस दरीचे से फिर झाँकता कौन है
ज़िंदगी हादसे के सिवा कुछ नहीं
हादसे पर मगर सोचता कौन है
ज़िंदगी में अगर हैं अँधेरे 'सलीम'
तेरी ग़ज़लों में फिर चाँद सा कौन है
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