मोहब्बत अपने लिए जिन को मुंतख़ब कर ले
वो लोग मर के भी मरते नहीं मोहब्बत में
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
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Habib Jalib
Mohsin Naqvi
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Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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तू ने देखा नहीं इक शख़्स के जाने से 'सलीम'
तिलिस्म-ख़ाना-ए-अस्बाब मेरे सामने था
साए गली में जागते रहते हैं रात भर
बस इक रस्ता है इक आवाज़ और एक साया है
कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए
दस्त-ए-दुआ को कासा-ए-साइल समझते हो
तुम ने सच बोलने की जुरअत की
वो जिन के नक़्श-ए-क़दम देखने में आते हैं
कोई सच्चे ख़्वाब दिखाता है पर जाने कौन दिखाता है
तू सूरज है तेरी तरफ़ देखा नहीं जा सकता
आब ओ हवा है बरसर-ए-पैकार कौन है