कुछ इस तरह से वो शामिल हुआ कहानी में
कि इस के बाद जो किरदार था फ़साना हुआ
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Wasi Shah
Jaun Eliya
Gulzar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
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साल की आख़िरी शब
इक घड़ी वस्ल की बे-वस्ल हुई है मुझ में
दस्त-ए-दुआ को कासा-ए-साइल समझते हो
तू ने देखा नहीं इक शख़्स के जाने से 'सलीम'
तारे जो कभी अश्क-फ़िशानी से निकलते
मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूँ तो किसी के हर्फ़-ए-दुआ में हूँ
ऐ मिरे चारागर तिरे बस में नहीं मोआमला
तिलिस्म-ख़ाना-ए-अस्बाब मेरे सामने था
और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी
किस की तहवील में थे किस के हवाले हुए लोग
वो जो आए थे बहुत मंसब-ओ-जागीर के साथ
अभी हैरत ज़ियादा और उजाला कम रहेगा