अजनबी हैरान मत होना कि दर खुलता नहीं
जो यहाँ आबाद हैं उन पर भी घर खुलता नहीं
Anwar Masood
Allama Iqbal
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Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
Habib Jalib
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तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा
रात को रात ही इस बार कहा है हम ने
वुसअत है वही तंगी-अफ़्लाक वही है
क्या बताएँ फ़स्ल-ए-बे-ख़्वाबी यहाँ बोता है कौन
कोई याद ही रख़्त-ए-सफ़र ठहरे कोई राहगुज़र अनजानी हो
मैं ने जो लिख दिया वो ख़ुद है गवाही अपनी
तुझे दुश्मनों की ख़बर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं
तू ने देखा नहीं इक शख़्स के जाने से 'सलीम'
साँस लेने से भी भरता नहीं सीने का ख़ला
ये आग लगने से पहले की बाज़-गश्त है जो
आब ओ हवा है बरसर-ए-पैकार कौन है
कहीं तुम अपनी क़िस्मत का लिखा तब्दील कर लेते