Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d4dc6e6f341387f8be6b0e1c4b28b3e2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ग़मों की आग पे सब ख़ाल-ओ-ख़द सँवारे गए - सलीम फ़िगार कविता - Darsaal

ग़मों की आग पे सब ख़ाल-ओ-ख़द सँवारे गए

ग़मों की आग पे सब ख़ाल-ओ-ख़द सँवारे गए

ये कैसे कर्ब के आलम से हम गुज़ारे गए

हुआ है इस लिए भी सोगवार-ओ-नौहा-कुनाँ

हुजूम-ए-शहर में हम लोग ला के मारे गए

बिसात-ए-वक़्त पे खेली गई है जब बाज़ी

हमीं तो खेल में हर सम्त रख के हारे गए

वो चाँद टूट गया जिस से रात रौशन थी

चमक रहे थे फ़लक पर जो सब सितारे गए

जहाँ जहाँ से भी गुज़रे हुजूम-ए-मातम में

शगुफ़्ता फूल से चेहरे क़ज़ा पे वारे गए

'फ़िगार' आग कहाँ अब धुआँ भी मुश्किल है

वो शब को ओस पड़ी है कि सब शरारे गए

(602) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Saleem Figar. is written by Saleem Figar. Complete Poem in Hindi by Saleem Figar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.