सलीम फ़िगार कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सलीम फ़िगार
नाम | सलीम फ़िगार |
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अंग्रेज़ी नाम | Saleem Figar |
जन्म की तारीख | 1972 |
जन्म स्थान | U.K. |
वो चाँद टूट गया जिस से रात रौशन थी
शाख़-दर-शाख़ तिरी याद की हरियाली है
लफ़्ज़ ले कर ख़याल की वुसअत
कहीं आँखें कहीं बाज़ू कहीं से सर निकल आए
अँधेरे को निगलता जा रहा हूँ
मशवरा
मैं रात हव्वा
बस लौट आना
आख़िरी पड़ाव
शाम ढलते ही तिरे ध्यान में आ जाता हूँ
सहमे नहीफ़ दरिया के धारे की बात कर
ख़ुशबू सा कोई दिन तो सितारा सी कोई शाम
खो दिए हैं चाँद कितने इक सितारा माँग कर
कहीं आँखें कहीं बाज़ू कहीं से सर निकल आए
हर क़दम आगही की सम्त गया
ग़मों की आग पे सब ख़ाल-ओ-ख़द सँवारे गए
ग़मों की आग पे सब ख़ाल-ओ-ख़द सँवारे गए
फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ में शाख़ से पत्ता निकाल दे
दीद के बदले सदा दीदा-ए-तर रक्खा है
दीद के बदले सदा दीदा-ए-तर रक्खा है
चमकती ओस की सूरत गुलों की आरज़ू होना
अँधेरे को निगलता जा रहा हूँ