Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a0b620778faeef3fed0f7aa36eaf5e37, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वो तीरगी-ए-शब है कि घर लौट गए हैं - सलीम फ़राज़ कविता - Darsaal

वो तीरगी-ए-शब है कि घर लौट गए हैं

वो तीरगी-ए-शब है कि घर लौट गए हैं

उस दर से अभी नज्म-ओ-क़मर लौट गए हैं

ऐ मौसम-ए-गुल तू अभी आया है यहाँ पर

जब शाख़-ओ-शजर दीदा-ए-तर लौट गए हैं

शब भर तो तिरी याद का मेला सा लगा था

इस भीड़ में कुछ ख़्वाब-ए-सहर लौट गए हैं

हम हैं कि तिरे साथ चले जाते हैं वर्ना

सब लोग शूरुआत-ए-सफ़र लौट गए हैं

जब शाम के साए शजर-ओ-शाख़ से उतरे

हम तकते हुए राह-गुज़र लौट गए हैं

आए थे बहुत तैश में वो मुझ को डुबोने

देखा जो मिरा अज़्म भँवर लौट गए हैं

सन्नाटे तुझे मलने को आए थे सवेरे

रोका था बहुत हम ने मगर लौट गए हैं

बस हम हैं तिरे शहर में ठहरे हुए अब तक

सब ताजिर-ए-मर्जान-ओ-गुहर लौट गए हैं

अब के तो ये सहरा भी सहारा नहीं देता

दीवाने सभी ख़ाक-ब-सर लौट गए हैं

ख़्वाबों को 'सलीम' आँख में रुकना ही नहीं था

वो कर के मुझे ज़ेर-ओ-ज़बर लौट गए हैं

(579) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Saleem Faraz. is written by Saleem Faraz. Complete Poem in Hindi by Saleem Faraz. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.