आग सी बरसती है सब्ज़ सब्ज़ पत्तों से

आग सी बरसती है सब्ज़ सब्ज़ पत्तों से

दूर भागते हैं लोग शहर के दरख़्तों से

पिछली रात जब हर सू ज़ुल्मतों का पहरा था

एक चाँद निकला था इन हसीं दरीचों से

जाने छू गए होंगे किस के फूल से पाँव

इक महक सी उठती है इस नगर के रस्तों से

आज के ज़माने में किस को है सुकूँ हासिल

सब हैं बर-सर-ए-पैकार अपनी अपनी सोचों से

तीरगी से भी जिस की फूल से झड़ें 'बेताब'

क्यूँ वो रौशनी माँगे दूसरों की सुब्हों से

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In Hindi By Famous Poet Saleem Betab. is written by Saleem Betab. Complete Poem in Hindi by Saleem Betab. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.