Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2caadff0ed3617cba829f43527514a4a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आग सी बरसती है सब्ज़ सब्ज़ पत्तों से - सलीम बेताब कविता - Darsaal

आग सी बरसती है सब्ज़ सब्ज़ पत्तों से

आग सी बरसती है सब्ज़ सब्ज़ पत्तों से

दूर भागते हैं लोग शहर के दरख़्तों से

पिछली रात जब हर सू ज़ुल्मतों का पहरा था

एक चाँद निकला था इन हसीं दरीचों से

जाने छू गए होंगे किस के फूल से पाँव

इक महक सी उठती है इस नगर के रस्तों से

आज के ज़माने में किस को है सुकूँ हासिल

सब हैं बर-सर-ए-पैकार अपनी अपनी सोचों से

तीरगी से भी जिस की फूल से झड़ें 'बेताब'

क्यूँ वो रौशनी माँगे दूसरों की सुब्हों से

(534) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Saleem Betab. is written by Saleem Betab. Complete Poem in Hindi by Saleem Betab. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.