मुझ को सज़ा-ए-मौत का धोका दिया गया

मुझ को सज़ा-ए-मौत का धोका दिया गया

मेरा वजूद मुझ में ही दफ़ना दिया गया

बोलो तुम्हारी रीढ़ की हड्डी कहाँ गई

क्यूँ तुम को ज़िंदगी का तमाशा दिया गया

आँखों को मेरी सच से बचाने की फ़िक्र में

टी वी के स्क्रीन पे चिपका दिया गया

साज़िश न जाने किस की बड़ी कामयाब है

हर शख़्स अपने आप में भटका दिया गया

लहजे में सच का ज़ुहूर उगलने का जुर्म था

मेरी ग़ज़ल को धूप में झुलसा दिया गया

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In Hindi By Famous Poet Saleem Ansari. is written by Saleem Ansari. Complete Poem in Hindi by Saleem Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.