तर्क उन से रस्म-ओ-राह-ए-मुलाक़ात हो गई

तर्क उन से रस्म-ओ-राह-ए-मुलाक़ात हो गई

यूँ मिल गए कहीं तो कोई बात हो गई

दिल था उदास आलम-ए-ग़ुर्बत की शाम थी

क्या वक़्त था कि तुम से मुलाक़ात हो गई

ये दश्त-ए-हौल-ख़ेज़ ये मंज़िल की धुन ये शौक़

ये भी ख़बर नहीं कि कहाँ रात हो गई

रस्म-ए-जहाँ न छूट सकी तर्क-ए-इश्क़ से

जब मिल गए तो पुर्सिश-ए-हालात हो गई

ख़ू बू रही सही थी जो मुझ में ख़ुलूस की

अब वो भी नज़्र-ए-रस्म-ए-इनायात हो गई

दिलचस्प है 'सलीम' हिकायत तिरी मगर

अब सो भी जा कि यार बहुत रात हो गई

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In Hindi By Famous Poet Saleem Ahmed. is written by Saleem Ahmed. Complete Poem in Hindi by Saleem Ahmed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.