दिल की धड़कन भी है उन को नागवार
उन से कुछ कहने की जुरअत क्या करें
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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मता-ए-ग़म मिरे अश्कों ही तक नहीं महदूद
हुई सुब्ह जाम खनक उठे हुई शाम नग़्मे बिखर गए
आए जो चंद तिनके क़फ़स में सबा के साथ
शबनम ने रो के जी ज़रा हल्का तो कर लिया
हमेशा दूर के जल्वे फ़रेब देते हैं
ताबानी-ए-रुख़ ले कर तुम सामने जब आए
बिजली गिरेगी सेहन-ए-चमन में कहाँ कहाँ
रह-ए-हयात चमक उठ्ठे कहकशाँ की तरह
बू-ए-गुल बाद-ए-सबा लाई बहुत देर के बा'द
ये तो मालूम है उन तक न सदा पहुँचेगी
तीरा-ओ-तार फ़ज़ाओं में जिया हूँ अब तक