आए जो चंद तिनके क़फ़स में सबा के साथ
मैं ने उन्हीं को अपना नशेमन समझ लिया
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मता-ए-ग़म मिरे अश्कों ही तक नहीं महदूद
हमेशा दूर के जल्वे फ़रेब देते हैं
क्या इसी को बहार कहते हैं
चंद तिनकों के सिवा क्या था नशेमन में मिरे
है तिश्ना-लबी लेकिन हम क्यूँ उसे ज़हमत दें
ताबानी-ए-रुख़ ले कर तुम सामने जब आए
कटेगी कैसे गुल-ए-नौ की ज़िंदगी या-रब
बिजली गिरेगी सेहन-ए-चमन में कहाँ कहाँ
बू-ए-गुल बाद-ए-सबा लाई बहुत देर के बा'द
ये तो मालूम है उन तक न सदा पहुँचेगी
दिल की धड़कन भी है उन को नागवार