कभी कभी तो सुना है हिला दिए हैं महल
हमारे ऐसे ग़रीबों की इल्तिजाओं ने
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Habib Jalib
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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बन गई है मौत कितनी ख़ुश-अदा मेरे लिए
धरती अमर है
कश्मकश
धुआँ
मैं तो कहता हूँ तुम्ही दर्द के दरमाँ हो ज़रूर
मेरी फ़िक्र की ख़ुशबू क़ैद हो नहीं सकती
तुम शराब पी कर भी होश-मंद रहते हो
जंगली नाच
मज़दूर लड़की
आज फिर ये कह रहा हूँ
वो ज़िंदा है
सुब्ह-दम भी यूँ फ़सुर्दा हो गया