तीस दिन यार अब न आएगा
इस महीने का नाम ख़ाली है
Habib Jalib
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Parveen Shakir
Gulzar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
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क़ब्र में अब किसी का ध्यान नहीं
रुख़ हाथ पे रक्खा न करो वक़्त-ए-तकल्लुम
तस्वीर-ए-चश्म-ए-यार का ख़्वाहाँ है बाग़बाँ
दिल ही मेरा फ़क़त है मतलब का
हमा-तन हो गए हैं आईना
कभी पहुँचेगा दिल उन उँगलियों तक
निस्बत वही माह-ए-आसमाँ से
दर्द को गुर्दा तड़पने को जिगर
अजी फेंको रक़ीब का नामा
देखें कहता है ख़ुदा हश्र के दिन
हम पे जौर-ओ-सितम के क्या मअनी
हैफ़ साबित है जेब ने दामन