शम्अ को रौशनी का अपने बहुत दावा है
साक़-ए-पा से कुछ उठा लीजिए दामाँ अपना
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ख़ुदा के पास क्या जाएँगे ज़ाहिद
था हिना से जो शोख़ मेरा ख़ूँ
उन की चुटकी में दिल न मल जाता
हिचकियाँ आती हैं पर लेते नहीं वो मेरा नाम
तुम न आसान को आसाँ समझो
क़ब्र में अब किसी का ध्यान नहीं
ना-ख़ुश जो हो गुल-बदन किसी का
दिल ही मेरा फ़क़त है मतलब का
सीने से हमारा दिल न ले जाओ
रुख़-ए-रौशन दिखाइए साहब
जिस के घर जाते न थे हज़रत-ए-दिल
हैफ़ साबित है जेब ने दामन