हम उन से आज का शिकवा करेंगे
उखाड़ेंगे वो बरसों की गड़ी बात
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Habib Jalib
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(442) Peoples Rate This
बर्ग-ए-गुल आ मैं तेरे बोसे लूँ
फिर उलझते हैं वो गेसू की तरह
बात करने में होंट लड़ते हैं
है चमन में रहम गुलचीं को न कुछ सय्याद को
इन को नफ़रत इसे क्या कहते हैं
जाएगी गुलशन तलक उस गुल की आमद की ख़बर
गुफ़्तुगू हो दबी ज़बान बहुत
हमा-तन हो गए हैं आईना
न छोड़ा हिज्र में भी ख़ाना-ए-तन
क्या आतिश-ए-फ़ुर्क़त ने बुरी पाई है तासीर
था मिरा नाख़ुन-ए-तराशीदा
क़ासिद तिरे बार बार आए