हैफ़ साबित है जेब ने दामन
और जुनून में बहार आई है
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उन की चुटकी में दिल न मल जाता
तुम न आसान को आसाँ समझो
था हिना से जो शोख़ मेरा ख़ूँ
नक़्द-ए-दिल का बड़ा तक़ाज़ा है
इश्क़ करने में दिल भी क्या है शोख़
क़ासिद तिरे बार बार आए
हम पे जौर-ओ-सितम के क्या मअनी
'सख़ी' से छूट कर जाएँगे घर आप
बात करने में होंट लड़ते हैं
चर्ख़ पर बद्र जिस को कहते हैं
हिचकियाँ आती हैं पर लेते नहीं वो मेरा नाम