ना-ख़ुश जो हो गुल-बदन किसी का

ना-ख़ुश जो हो गुल-बदन किसी का

क्या भाए उसे सुख़न किसी का

गुल की मुझे क्यूँ कली दिखाई

याद आ गया फिर दहन किसी का

हर संग की कोह पर सदा है

याँ दफ़्न है कोहकन किसी का

करते हो पसंद वहशत-ए-दिल

ले जाओगे क्या हिरन किसी का

भूली है सबा क़बा-ए-गुल पर

देखा नहीं पैरहन किसी का

आशिक़ ही के जब न काम आया

किस काम का बाँकपन किसी का

आ जाए किसी की मौत मुझ को

मिल जाए मुझे कफ़न किसी का

सीने से हमारा दिल न ले जाओ

छुड़वाते हो क्यूँ वतन किसी का

गाते हैं 'सख़ी' ही की ग़ज़ल वो

भाता ही नहीं सुख़न किसी का

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In Hindi By Famous Poet Sakhi Lakhnvi. is written by Sakhi Lakhnvi. Complete Poem in Hindi by Sakhi Lakhnvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.