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Sakhi Lakhnvi Poetry In Hindi - Best Sakhi Lakhnvi Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

सख़ी लख़नवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सख़ी लख़नवी

सख़ी लख़नवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सख़ी लख़नवी
नामसख़ी लख़नवी
अंग्रेज़ी नामSakhi Lakhnvi

ज़िंदगी तक मिरी हँस लीजिए आप

यूँही वादा करो यक़ीं हो जाए

वो आशिक़ हैं कि मरने पर हमारे

तुम न आसान को आसाँ समझो

तीस दिन यार अब न आएगा

था मिरा नाख़ुन-ए-तराशीदा

था हिना से जो शोख़ मेरा ख़ूँ

तस्वीर-ए-चश्म-ए-यार का ख़्वाहाँ है बाग़बाँ

सीने से हमारा दिल न ले जाओ

शम्अ को रौशनी का अपने बहुत दावा है

शैख़-जी बुत की बुराई कीजे

'सख़ी' बैठिए हट के कुछ उस के दर से

रुख़ हाथ पे रक्खा न करो वक़्त-ए-तकल्लुम

रंगत उस रुख़ की गुल ने पाई है

रहते काबे में अकेले क्या हम

क़ाफ़िला जाता है साग़र की तरफ़ रिंदों का

पूजना बुत का है ये क्या मज़मून

नज़'अ के दम भी उन्हें हिचकी न आएगी कभी

नक़्द-ए-दिल का बड़ा तक़ाज़ा है

न छोड़ा हिज्र में भी ख़ाना-ए-तन

न आशिक़ हैं ज़माने में न माशूक़

मिरे लाशे को कांधा दे के बोले

मैं तुझे फिर ज़मीं दिखाऊँगा

ली ज़बाँ उस की जो मुँह में हो गया ज़ौक़-ए-नबात

क्यूँ हसीनों की आँखों से न लड़े

क्या आतिश-ए-फ़ुर्क़त ने बुरी पाई है तासीर

की ख़िताबत को गर ख़ुदा समझा

ख़ुदा के पास क्या जाएँगे ज़ाहिद

ख़ाल और रुख़ से किस को दूँ निस्बत

कहना मजनूँ से कि कल तेरी तरफ़ आऊँगा

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