Ghazals of Sakhawat Shameem
नाम | शख़ावत शमीम |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Sakhawat Shameem |
रौशनी दर पे खड़ी मुझ को बुलाती क्यूँ है
राह में कोई खड़ा हो जैसे
हर्फ़-ए-तहज्जी सीख रहा हूँ
गो तिरे शहर में भी रात रहे
नाम | शख़ावत शमीम |
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अंग्रेज़ी नाम | Sakhawat Shameem |
रौशनी दर पे खड़ी मुझ को बुलाती क्यूँ है
राह में कोई खड़ा हो जैसे
हर्फ़-ए-तहज्जी सीख रहा हूँ
गो तिरे शहर में भी रात रहे