सर से जुनून-ए-इश्क़ का सौदा निकालिए
सर से जुनून-ए-इश्क़ का सौदा निकालिए
या अपने दिल से ख़्वाहिश-ए-दुनिया निकालिए
या हाथ बाँध लीजिए दुनिया के सामने
या हाथ खोल कर यद-ए-बैज़ा निकालिए
या मोम बन के ख़ुद को हवादिस में ढालिए
या संग से शरार-ए-तमन्ना निकालिए
या प्यास अपनी अब्र-ए-करम से बुझाइये
या ख़ुद पहाड़ काट के दरिया निकालिए
ये क्या कि सारी उम्र ब-तर्ज़-ए-जनाब-ए-शैख़
पगड़ी से अपनी इल्म का तुर्रा निकालिए
तहक़ीक़ में तो बाल की भी खाल खींचिए
तख़्लीक़ में पहाड़ से चूहा निकालिए
ताक़त के आगे गर्बा-ए-मिस्कीं की म्याऊँ म्याऊँ
ना-ताक़ती को देख के पंजा निकालिए
नाहक़ की वाह वाह में तक़रीर-ए-दिल-पज़ीर
हक़ के ख़िलाफ़ अक़्ल का शोशा निकालिए
बेबाक है जो 'बाक़र'-ए-आशुफ़्ता-सर बहुत
कुछ उस की सरज़निश का बहाना निकालिए
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