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वो इश्क़ जो हम को लाहिक़ था - साजिदा ज़ैदी कविता - Darsaal

वो इश्क़ जो हम को लाहिक़ था

वो इश्क़ जो हम को लाहिक़ था

शब-हा-ए-सियह के दामन में

असरार जुनूँ के खोल गया

बहर-ए-मौजूद के मरकज़ से

इक मौज-ए-तलातुम-ख़ेज़ उट्ठी

इक दर्द की लहर उठी दिल के रौज़न से

जिस में सिमट गए

दोनों आलम के रंज ओ तरब

और हस्त-ओ-बूद के महवर पर

रंज ओ राहत हम-रक़्स हुए

फ़ुर्क़त के तन्हा लम्हों में

आबाद थी इक दुनिया-ए-फ़ुसूँ

रफ़्तार-ए-ग़म की मौज-ए-रवाँ

आवारा बगूले यादों के

बारिश की मद्धम बूँदों के

सरगम की फ़रावाँ मौसीक़ी

अश्जार की रक़्साँ शाख़ों से

छनता हुआ फ़ितरत का जादू

दुनिया-ए-नशात-ओ-दर्द की लय

अंदोह ओ अलम का इक आलम

तख़्लीक़ के लर्ज़ां सीने के असरार-ए-निहाँ

नग़्मा-बर-लब ये अर्ज़ ओ समा

नौहा दर्द-ए-दिल बातिन की फ़ज़ा

तख़्लीक़ जहाँ के सर निहाँ

पत्ते पत्ते की रंगत में

हर्फ़ किन का जादू लर्ज़ां

सब इक वहदत में जज़्ब हुए

इक वज्द आगीं एहसास में

रूह ओ जिस्म ओ जाँ मल्बूस हुए

वक़्त और मकाँ के सिर्र-ए-निहाँ मल्बूस हुए

इस इश्क़ से ये असरार खुला

हम ज़िंदा हैं और राह-ए-फ़ना में जौलाँ हैं

इक रोज़ ये दिल बुझ जाएगा

बस नूर-ए-ख़ुदा रह जाएगा

वो इश्क़ जो हम को लाहिक़ था

असरार-ए-वजूद ओ रम्ज़-ए-अदम सब खोल गया

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In Hindi By Famous Poet Sajida Zaidi. is written by Sajida Zaidi. Complete Poem in Hindi by Sajida Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.