किश्त-ए-वीराँ की तरह तिश्ना रही रात मिरी

किश्त-ए-वीराँ की तरह तिश्ना रही रात मिरी

लौट आई तिरे दर से भी मुनाजात मिरी

तो लहू बन के रगों में मिरी दौड़ा लेकिन

तिश्ना-ए-दीद रही तुझ से मुलाक़ात मिरी

दिल पे खुलते नहीं असरार-ए-वजूद और अदम

यही हैरान-निगाही है मुकाफ़ात मिरी

कौन समझा मिरी बेदार-निगाही की हुदूद

यूँ तो हर हाथ में थी शरह-ए-हिकायात मिरी

गरचे आवारा रहे मेरे फ़साने हर सू

राज़-ए-सर-बस्ता ज़माने में रही ज़ात मिरी

साज़-ओ-आहंग का ए'जाज़ था हर लफ़्ज़ मिरा

फूँक डाली ख़स-ओ-ख़ाशाक ने सौग़ात मिरी

हैं ज़मीं और ज़माँ दूद-ए-चराग़-ए-शब-ए-ग़म

मुझ को ले आई कहाँ गर्दिश-ए-हालात मिरी

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In Hindi By Famous Poet Sajida Zaidi. is written by Sajida Zaidi. Complete Poem in Hindi by Sajida Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.