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जज़्बा-ए-इश्क़ भी है गर्मी-ए-बाज़ार भी है - साजिद सिद्दीक़ी लखनवी कविता - Darsaal

जज़्बा-ए-इश्क़ भी है गर्मी-ए-बाज़ार भी है

जज़्बा-ए-इश्क़ भी है गर्मी-ए-बाज़ार भी है

हुस्न-ए-यूसुफ़ का मगर कोई ख़रीदार भी है

शो'ला-ए-तूर भी है जल्वा-गह-ए-बार भी है

देखना ये है कोई तालिब-ए-दीदार भी है

दिल का सौदा मुझे मंज़ूर है लेकिन ऐ दोस्त

मेरा हम-ज़ौक़ भी है मूनिस-ओ-ग़म-ख़्वार भी है

कभी बदले हुए तेवर कभी दुज़्दीदा नज़र

एक ही वक़्त में इक़रार भी इंकार भी है

पुर-ज़िया बज़्म-ए-मसर्रत है ज़िया-ए-ग़म से

जिस जगह फूल महकता है वहाँ ख़ार भी है

चश्म-ए-साक़ी का न मय-ख़्वार सहारा ढूँडें

वो सुख़न-साज़ भी है और जफ़ा-कार भी है

मेरी दुनिया में वही शाम-ओ-सहर हैं अब तक

ज़िंदगी तल्ख़ भी है और गिराँ-बार भी है

दिल हथेली पे लिए सर को झुकाए रहना

उन का मंशा भी है आशिक़ को सज़ा-वार भी है

जब ग़म-ए-दिल को मसीहा की ज़रूरत ही नहीं

अब मैं समझा हूँ ये इक उक़्दा-ए-दुश्वार भी है

'साजिद'-ए-ख़स्ता को आग़ोश-ए-करम में ले ले

तेरा बंदा भी है और तेरा गुनहगार भी है

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In Hindi By Famous Poet Sajid Siddiqi Lakhnavi. is written by Sajid Siddiqi Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Sajid Siddiqi Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.